मुख्य पूजा :- कालसर्प दोष, मंगल भात पूजा, नवचंडी और सतचंडी पूजा, राहु-केतु , मां बगलामुखी जाप, गृह शांति, वास्तु शांति, महामृत्युंजय जाप, पितृ दोष , कुंभ / विवाह, ऋण मुक्ति, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, एवं समस्त मांगलिक कार्य विधि विधान से सम्पन्न करवाये जाते हे कुंडली बनवाने के लिए संपर्क करें:-+91-9713674285

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पं. कन्हैयालाल शर्मा जी संस्कारों की भूमि उज्जैन से, जहाँ धर्म और वेद एक साथ गूंजते हैं — वहीं से आरंभ हुआ पं. कन्हैयालाल शर्मा का आध्यात्मिक सफर। बाल्यकाल से ही धर्म, वेद और संस्कारों के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले पं. कन्हैयालाल शर्मा ने देश के महान विद्वान गुरुओं से शिक्षा व्यास - सांदीपनी वेद एवं ज्योतिष विद्यापीठ उज्जैन से प्राप्त कर वेद-विज्ञान, अनुष्ठान विधि और संस्कार शास्त्र में गहरी सिद्धि प्राप्त की है। 20 वर्षों का दिव्य अनुभव –पंडित जी द्वारा कालसर्प दोष निवारण (उज्जैन में वैदिक पद्धति से विशेष प्रतिष्ठा) महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तशती पाठ ग्रह दोष, मंगल दोष, पितृ दोष, चांडाल दोष कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, ग्रहण दोष, केंद्र दोष कुंडली विश्लेषण, पत्रिका मिलान वास्तु दोष निवारण, गृह प्रवेश, विवाह, व्यापार बाधा निवारण पूजन पूर्ण वैदिक विधियों द्वारा अनुष्ठान सम्पन्न करवाये जाते है |
" अनुभव, ज्ञान और श्रद्धा का त्रिवेणी संगम आध्यात्मिक समाधान जो केवल पूजा नहीं, ऊर्जा है "

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Anushthan & Nivaran

कालसर्प दोष

Kalsarp Dosh

ऐसा तब होता है जब राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं। इसका परिणाम असफलता और निराशा होता है। क्योंकि सभी कार्य किए गए प्रयासों के अनुसार नहीं होते हैं। अक्सर नकारात्मकता और हीन भावना पैदा होती है। वैदिक विधि से की गई यह विधि बहुत प्रभावी है, हालांकि बहुत सरल है।


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महामृत्युंजय जाप

Mahamrityunjay Jaap

महामृत्युंजय मंत्र सभी प्राचीन संस्कृत मंत्रों में सबसे शक्तिशाली है। यह एक ऐसा मंत्र है जिसके कई नाम और रूप हैं। इसे रुद्र मंत्र कहा जाता है, जो शिव के उग्र रूप को दर्शाता है; त्र्यंबकम मंत्र, जो शिव की तीन आँखों को दर्शाता है; और इसे कभी-कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह आदि ऋषि शुक्र को दी गई "जीवन-पुनर्स्थापना" साधना का एक घटक है, जो उन्होंने तपस्या की एक थकाऊ अवधि पूरी करने के बाद की थी।


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पितृ दोष

Pitra Dosh

हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृपक्ष गणेश उत्सव के तुरंत बाद शुरू होता है और सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होता है। हिंदू लोग पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और उनकी आत्मा को स्वर्ग का मार्ग प्राप्त करने में मदद मिले।


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मंगल दोष पूजा

Mangal Dosh Puja

मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है, ऐसा होने पर ऐसे जातक का विवाह भी मांगलिक स्त्री या पुरुष से ही करना चाहिए| इसी प्रकार शनि देव यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो या दृष्टिगत भी हो तो कुंडली में मांगलिक योग का परिहार हो जाता है|


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WELCOME TO FAMOUS PANDIT IN UJJAIN!

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